व्यापार की आड़ में फरेब






भारत के प्रति पाकिस्तान की नीति और नीयत किस कदर नापाक है इसके बारे में शायद ही अलग से किसी को बताने की जरूरत हो। लेकिन पाक की नापाकियत को अगर अब तक झेला जाता रहा तो इसकी सबसे बड़ी वजह यही थी कि कहीं गेहूं के साथ घुन की तरह आम कश्मीरियों को ना पिस जाना पड़े। कश्मीरी आवाम की सुविधा और सहूलियत के लिये भारत सरकार ने कई तरह की छूट दी हुई है जिसमें पाकिस्तान को व्यापारिक लिहाज से मोस्ट फेवर्ड नेशन का दर्जा देना भी शामिल था। लेकिन पुलवामा में सुरक्षा बलों के काफिले पर पाकिस्तान की शह पर कराए गए आत्मघाती आतंकी हमले के बाद जब पाकिस्तान से मोस्ट फेवर्ड नेशन का दर्जा छिन गया तो स्वाभाविक तौर पर दोनों मुल्कों के बीच होने वाले व्यापार पर सख्ती और बंदिशें बढ़ गई। नतीजन व्यापार की आड़ में पाकिस्तान से भारत को तबाह और अशांत करने के इरादे से भेजे जाने वाले हथियार, मादक पदार्थ और नकली नोटों की खेप को भारत की सीमा में दाखिल करा पाना नामुमकिन की हद तक मुश्किल हो गया। ऐसे में पाकिस्तान की ओर से एक नई खुराफाती राह अपनाई गई जिसके तहत नियंत्रण रेखा पर होने वाले सरहद के दोनों ओर के कश्मीरियों के आपसी व्यापार को जरिया बनाने का प्रयास किया गया। पुलवामा में सुरक्षा बलों के काफिले पर हुए आत्मघाती आतंकी हमले की घटना के बाद भारत सरकार द्वारा पाकिस्तान से एमएफएन का दर्जा वापस ले लिये जाने के बाद ऐसी खबरें सामने आने लगी हैं कि ऊंचे शुल्क चुकाने से बचने के लिए एलओसी व्यापार का काफी बड़े पैमाने पर दुरूपयोग होने लगा। यह व्यापार केवल कश्मीरियों के लिये था जहां दोनों ओर के लोग आपस में एक सामान के बदले दूसरा सामान लिया-दिया करते थे। वहां पैसों में लेन देन नहीं होता था बल्कि इस बाजार की परिकल्पना ही यही थी कि वहां सरहद के दोनों ओर के लोग अपने सामनों की अदला बदल कर सकें और अपनी जरूरतें मिल बांट कर पूरी कर सकें। एलओसी व्यापार जम्मू-कश्मीर में नियंत्रण रेखा के आरपार की स्थानीय आबादी के बीच आम इस्तेमाल वाली वस्तुओं के आदान-प्रदान को सुगम बनाने के लिए होता रहा है। दो व्यापार सुविधा केंद्रों- सलामाबाद, उरी, जिला बारामूला और चक्कन-दा-बाग, जिला पुंछ के माध्यम से एलओसी व्यापार की अनुमति रही है। यह व्यापार सप्ताह में चार दिन होता है और यह वस्तु विनिमय प्रणाली और जीरो ड्यूटी के आधार पर किया जाता है। यानि वहां के बाजार में होने वाले किसी भी सौदे-सुलह पर किसी प्रकार का कर भी नहीं लगाया जाता है। लेकिन पाकिस्तान से एमएफएन का दर्जा वापस लिये जाने के बाद से एलओसी व्यापार के बहुत बड़े पैमाने पर दुरूपयोग होने की खबरें मिल रही हैं। ऐसा पता चला है कि इस व्यापार का स्वरूप बदल कर मोटे तौर पर थर्ड पार्टी व्यापार और अन्य क्षेत्रों के उत्पादों के कारोबार में परिवर्तित हो चुका है। इनमें अन्य देशों के उत्पाद भी शामिल हैं, जो इसके जरिये अपना मार्ग तलाश रहे हैं। यानि विदेशी कम्पनियां अपने उत्पादों को बिना किसी तरह का शुल्क अदा किये भारतीय बाजार में खपाने के लिये इस व्यापार मार्ग का इस्तेमाल कर रही हैं। लेकिन अगर उस बाजार का केवल कर बचाने के लिये व्यापारिक इस्तेमाल किया जा रहा होता तब भी गनीमत थी। हद तो यह हो गई कि उस व्यवस्था में आतंकियों और भारत विरोधी तत्वों की भी घुसपैठ हो गई। अनैतिक और राष्ट्रविरोधी तत्व इस मार्ग का इस्तेमाल व्यापार की आड़ में हवाला कारोबार, मादक पदार्थों और हथियारों के लिए कर रहे हैं। इसलिए भारत सरकार ने जम्मू-कश्मीर में सलामाबाद और चक्कन-दा-बाग से एलओसी व्यापार पर तत्काल प्रभाव से रोक लगाने का फैसला किया है। सरकार ने यह कदम एलओसी के पार वाले व्यापार मार्गों का पाकिस्तान स्थित तत्वों द्वारा गैर कानूनी हथियारों, मादक पदार्थों और जाली नोट आदि भेजने के लिए दुरुपयोग किये जाने की खबरें मिलने के बाद उठाया है। एनआईए द्वारा हाल ही में की गई कुछ मामलों की जांच से पता चला है कि एलओसी व्यापार में शामिल कंपनियों में बहुत बड़ी तादाद ऐसी कंपनियों की है, जिन्हें चलाने वाले लोगों के आतंकवाद और अलगाववाद को भड़काने वाले प्रतिबंधित आतंकवादी संगठनों के साथ करीबी संबंध हैं। जांच से कुछ ऐसे लोगों का पता चला है जो सीमा पार कर पाकिस्तान चले गए थे और वे वहां जाकर आतंकवादी संगठनों में शामिल हो गए और उन्होंने पाकिस्तान में व्यापार करने वाली कंपनियां खोल ली हैं। ये व्यापारिक कंपनियां आतंकवादी संगठनों के नियंत्रण में हैं और एलओसी व्यापार में संलग्न हैं। पुलवामा घटना के बाद भारत सरकार ने पाकिस्तान से एमएफएन का दर्जा वापस ले लिया था। ऐसी खबरें भी मिली हैं कि इसके परिणामस्वरूप ऊंचे शुल्क चुकाने से बचने के लिए एलओसी व्यापार का काफी बड़े पैमाने पर दुरूपयोग होने की आशंका है। इसलिए भारत सरकार ने जम्मू-कश्मीर में सलामाबाद और चक्कन-दा-बाग से एलओसी व्यापार पर तत्काल प्रभाव से रोक लगाने का फैसला किया है। इस बीच कड़ी विनियामक और प्रवर्तन व्यवस्था तैयार की जा रही है और विभिन्न एजेंसियों के साथ परामर्श के बाद उसे लागू कर दिया जाएगा। एलओसी व्यापार दोबारा शुरू करने से संबंधित फैसले पर उसके बाद पुनर्विचार किया जाएगा। हालांकि इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता है कि एलओसी व्यापार को दोबारा खोलना आवश्यक भी है और अपेक्षित भी। वैसे भी जब हम पाकिस्तान के कब्जेवाले कश्मीर को अपना मानते हैं और वहां लोगों को भी सैद्धांतिक तौर पर भारत का नागरिक मानने से गुरेज नहीं करते हैं तो सरहद के दोनों तरफ के कश्मीरियों को आपस में मिलने-जुलने और अपनी वस्तुएं साझा करने का मंच उपलब्ध कराना भी आवश्यक है। लेकिन इसमें यह भी देखना होगा कि इस मंच का कोई दुरूपयोग ना कर सके। इसके लिये ठोस नीति बनाना आवश्यक है और तब तक इस व्यापार को बंद रखने का फैसला करने के अलावा भारत सरकार के पास कोई विकल्प भी नहीं था।