भारत की मार से कराहता पाक






पुलवामा में सुरक्षा बलों के काफिले पर आत्मघाती हमला कराके भारत को उकसाने का जो नतीजा पाकिस्तान को भुगतना पड़ रहा है उसकी इसने कल्पना भी नहीं की होगी। यह स्थिति तब है जब भारत ने अभी उस पर ना तो कोई सैन्य कार्रवाई की है और ना ही जीवन के लिये अनिवार्य आवश्यकता मानी जाने वाली पानी की सप्लाई को रोकने की पहल की है। यहां तक कि भारत में मौजूद पाकिस्तानी दूतावास को भी किसी मामले में कतई परेशान नहीं किया गया है और ना ही किसी अन्य मित्र देश को पाकिस्तान पर दबाव बनाने के लिये आगे करने की पहल की है। अगर किसी देश की संसद ने पुलवामा हमले के खिलाफ निंदा प्रस्ताव पारित किया है, किसी ने संयुक्त राष्ट्र में पाकिस्तान की शिकायत करने की घोषणा की है अथवा किसी ने पाकिस्तान पर सैन्य कार्रवाई में मदद की पेशकश की है तो यह सब स्वतः स्फूर्त ही हुआ है। इसमें सीधे तौर पर ना तो भारत की कोई भूमिका है और ना ही इसके लिये भारत की ओर से कोई प्रयास किया गया है। लेकिन अपनी सरहद के भीतर रहते हुए ही भारत ने केवल अपनी नीतियों में बदलाव करके पाकिस्तान को जो नुकसान पहुंचाया है उसका दर्द ऐसा है कि पाकिस्तान ना तो सह पा रहा है और ना ही किसी से कह पा रहा है। कहे भी तो क्या। कैसे स्वीकार करे कि वह अब तक आर्थिक रूप से भारत से फायदा उठाता आ रहा था और अब भारत ने फायदा देना बंद किया है तो उसके लिये अपने पैरों पर खड़ा होना मुश्किल हो गया है। आलम यह है कि भारत ने पाकिस्तान को दिया गया एकतरफा ‘मोस्ट फेवर्ड नेशन’ का दर्जा वापस लिया और वहां से आयात होने वाले सामानों पर 200 फीसदी तक का शुल्क लगा दिया। इसका नतीजा यह हुआ है कि पाकिस्तान में त्राहिमाम की स्थिति उत्पन्न हो गई है। जहां एक ओर बाजार में मूलभूत आवश्यकता के सामानों के दाम आसमान छू रहे हैं वहीं दूसरी ओर भारत से व्यापार करने वाले कारोबारियों के समक्ष भुखमरी की स्थिति उत्पन्न हो गई है। भारत से व्यापार के लिये इस्तेमाल होनेवाले वाघा सीमा पर पाकिस्तान के सैकड़ों ट्रक कतार लगा कर खड़े हैं और उनमें लदा माल सड़ रहा है। पाकिस्तानी मीडिया से जो रिपोर्ट सामने आ रही है उसमें पाकिस्तानियों की व्यथा कथा की ऐसी अभिव्यक्ति हो रही है कि किसी का भी दिल पसीज जाए। खास तौर से पाकिस्तान के आठ हजार छुहारा कारोबारी अपनी दुकान बंद करने के लिये मजबूर हो गए हैं। उनका माल कोई उठाने के लिये तैयार नहीं है। वाघा सीमा पर खड़े हर ट्रक में तकरीबन पंद्रह लाख का छुहारा लदा हुआ है। उसे भारत में घुसने के लिये तीस लाख का आयात शुल्क चुकाना होगा और उसके बाद छुहारे की भारत में जो कीमत हो जाएगी उस दर पर खरीदार ही नहीं मिलेगा। दूसरी ओर अगर भारत के दर पर छुहारे को बेचा गया तो पाकिस्तानी कारोबारियों को छुहारे की कीमत से दो गुना अधिक पैसा अपनी जेब से अदा करना होगा। जाहिर है कि विश्व बाजार व्यवस्था के नियमों के दायरे में रहते हुए भारत ने पाकिस्तान को ऐसे जाल में उलझा दिया है कि अब वहां से कोई भी सामान भारत आ पाना संभव ही नहीं रहा है। दूसरी ओर भारत से पाकिस्तान जानेवाले आलू, प्याज, टमाटर और चीनी व पान सरीखे मदों की आवक रूक गई है। लिहाजा मांग की तुलना में आपूर्ति शून्य हो जाने के नतीजे में अब वहां महंगाई आसमान छू रही है। पाकिस्तानी मीडिया से आ रही रिपोर्ट के मुताबिक आलू-प्याज जैसी चीजें तकरीबन 100 रूपये किलो की दर से बिक रही है जबकि टमाटर की कीमत 200 रूपए के पार चली गई है। अब भारत की ओर से सामानों की आवक रूक जाने के बाद पाकिस्तान को बांग्लादेश सरीखे पड़ोसी देशों का ही आसरा रह गया है। चुंकि वहां से मांग के मुताबिक आपूर्ति नहीं हो रही है लिहाजा कीमतें आसमान छूने लगी हैं। लेकिन इससे भी बढ़कर अब भारत की ओर से सिंधु जलसंधि पर दोबारा विचार किये जाने के भी संकेत दिये जा रहे हैं। अब तक मानवता के नाते भारत ने अपनी सीमा से पाकिस्तान की ओर जानेवाली नदियों के पानी पर कभी कोई रोक नहीं लगाई। बेशक इसके कारण जम्मू-कश्मीर की कई सिंचाई परियोजनाएं अधर में लटकी हुई हैं और उन नदियों के जल संसाधन का समुचित इस्तेमाल नहीं हो पा रहा है लेकिन भारत की नीति रही थी कि पड़ोसी को कोई परेशानी नहीं होनी चाहिये। लेकिन अब ऐसे पड़ोसी से मानवता की सोच के साथ बात करने का कोई मतलब ही नहीं है जो अघोषित युद्ध के द्वारा हमें बर्बाद करने की राह पर चल रहा हो। आज स्थिति यह है कि एक ओर पाकिस्तान की आमदनी के सारे रास्ते बंद हो रहे हैं और उसे केवल चीन और सऊदी से मिल रही खैरात पर ही निर्भर होना पड़ रहा है ऐसे में भारत ने उसे जो आर्थिक मार मारी है उससे उसका बिलबिलाना स्वाभाविक ही है। लेकिन यह तो सिर्फ शुरूआत ही है। क्योंकि इस बार भारत ने साफ कर दिया है कि अगर पाकिस्तान ने आतंक का पूरी तरह खात्मा करने की दिशा में कदम नहीं बढ़ाया तो पाक खुद भी खत्म हो जाए तो भारत कतई उस पर किसी भी तरह की दया नहीं दिखाएगा।