सेंट मेरी कान्वेंट स्कूल, शास्त्रीनगर के खिलाफ जीपीए पहुंचा राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग




गाजियाबाद। स्थानीय नामी-गिरामी स्कूलों और उनके यहांं पढ़ रहे बच्चों के अभिभावकों में अप्रत्याशित फीस वृद्धि को लेकर जारी अघोषित जंग में तू डाल डाल, मैं पात पात वाली कहावत चरितार्थ हो रही है। खबर है कि अपने आप मेंं अजूबे प्रकृति वाले एक मामले में स्थानीय नेेताओं और प्रशासन की अनदेखी करने वाले स्कूल प्रबंधन के रवैये से परेशान परिजन ने जीपीए के नेेतृत्व में राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग का दरवाजा खटखटाया है। साथ ही, पीएमओ और राष्ट्रीय महिला आयोग से भी इस मामले में हस्तक्षेप की गुहार लगाई है। जिससे यह मामला सुलझने की बजाय दिन-प्रतिदिन उलझता ही जा रहा है।



 

खबर है कि सुशीला सिंह, जिनका बेटा अरहान पंवार पिछले 2 साल से सेंट मेरी कॉन्वेंट स्कूल ,शास्त्रीनगर का छात्र है, वो अब यूूकेजी कक्षा पास कर कक्षा प्रथम में आया है। सुशीला सिंह सेंट मेरी पैरेंट्स एसोसिएशन की अध्यक्षा हैं। लिहाजा, जब डीएफआरसी ने सेंटमेरी स्कूल को फीस वापसी का आदेश देते हुए  एक लाख रुपये का जुर्माना लगाया था, तब उन्होंने इसी निर्णय और फीस वापसी के आदेश को लेकर जनजागरूकता अभियान तथा बच्चों की किताब कॉपी का एक्सचेंज अभियान चलाया गया था। 

 

उनके इस कदम से आक्रोशित होकर स्कूल की प्रधानाचार्या ने सुशीला सिंह के बच्चे को क्लास फर्स्ट में  लेने से इनकार कर दिया और कहा कि 100 रुपये के स्टाम्प पेपर पर आप हमारे कहे मुताबिक नॉटरी करा कर लाएं। तब पुनः प्रवेश पर विचार करेंगे। फिर अपने बच्चे की पीड़ा औऱ उसके भावी हित को ध्यान में रखते हुए उन्होंने 100 रुपये के स्टाम्प पेपर विद्यालय प्रशासन के कहे मुताबिक तथ्य लिखकर दे दिया। जिस पर लिखवाया गया था कि आपको स्कूल के फीस स्ट्रक्चर से और स्कूल से कोई दिक्कत नहीं है। 

 

लेकिन हैरत की बात है कि उसके बाद भी विद्यालय प्रबंधन ने उनके बच्चे को स्कूल में प्रवेश नहीं दिया। इससे परेशान बच्चे के अभिभावक लगातार सभी आला अधिकारियों से लेकर माननीय मेयर, सांसद, विधायक, जिलाधिकारी, जिला विद्यालय निरीक्षक आदि से गुहार लगाते रहे, लेकिन उन्हें कोई राहत नहीं मिली, क्योंकि प्रधानाचार्या ने किसी एक की भी नहीं सुनी। बल्कि मौखिक जवाब स्वरूप स्कूल द्वारा बोला गया कि हम माइनॉरिटी के स्कूल हैं, जिससे हम पर सरकार या अधिकारियों का कोई आदेश लागू नही होता और ना ही हम किसी के आदेश को मानते हैं। 

 

उसके बाद उन्होंने इस बात की शिकायत गाजियाबाद  पेरेंट्स एसोसिएशन से की, जिसका संज्ञान लेते हुए गुरुवार को जीपीए की टीम पीड़ित अभिभावक को साथ लेकर राष्ट्रीय बाल संरक्षण आयोग, प्रधानमंत्री कार्यालय  और राष्ट्रीय महिला आयोग (तीनों नई दिल्ली) के जिम्मेदार पदाधिकारियों से मिले और उस बच्चे के स्कूल में प्रवेश को लेकर गुहार लगाई। साथ ही, इनलोगों ने  उम्मीद जताई है कि बच्चे के शिक्षा के मौलिक अधिकार की रक्षा होगी और बच्चे को न्याय मिलेगा। इस मौके पर  गाजियाबाद पेरेंट्स एसोसिएशन के अनिल सिंह, संजय पंडित, विवेक त्यागी और सुशीला सिंह आदि मौजूद रही।