भगवान महावीर ने दुनिया को सत्य और अहिंसा का सन्देश दिया

(बाल मुकुन्द ओझा)


महावीर जयंती जैन समुदाय का सबसे बड़ा पर्व है। 17 अप्रैल बुधवार को पूरे देश में महावीर जयंती का पर्व मनाया जाएगा। जैन समुदाय के लिए महावीर जयंती का विशेष महत्व होता है। जैन धर्म के 24 वें तीर्थकार स्वामी महावीर का जन्म चैत्र मास के शुक्ल त्रयोदशी तिथि पर मनाया जाता है। महावीर जयंती जैन समुदाय द्वारा भगवान महावीर के जन्म की खुशी में उत्सव के रूप में मनाते हैं। पंचशील सिद्धान्त के प्रर्वतक और जैन धर्म के चैबीसवें तीर्थंकर महावीर अहिंसा के प्रमुख ध्वजवाहकों में से एक है।
जैन मान्यताओं के अनुसार उनका जन्म बिहार के कुंडलपुर के राज परिवार में हुआ था। भगवान महावीर का बचपन का नाम वर्धमान था। कहा जाता है कि इन्होंने 30 साल की उम्र में घर छोड़ दिया और दीक्षा लेने के बाद 12 साल तपस्या की। दीक्षा लेने के बाद महावीर 12 साल तक तपस्या की। भगवान महावीर के दर्शन के लिए भक्तों को उनके सिद्धांतों का पालन करना जरूरी होता है। महावीर स्वामी सबसे बड़ा सिद्धांत अहिंसा है। यही नहीं उनके हर भक्तों को अहिंसा के साथ, सत्य, अचैर्य, बह्मचर्य और अपरिग्रह के पांच व्रतों का पालन करना आवश्यक होता है। जैन ग्रंथों के अनुसार, 23 वें तीर्थंकर पार्श्वनाथ जी के निर्वाण प्राप्त करने के 188 वर्ष बाद भगवान महावीर का जन्म हुआ थाद्य अहिंसा परमो धमर्रू अर्थात अहिंसा सभी धर्मों से सर्वोपरि हैद्य यह संदेश उन्होंने पूरी दुनिया को दिया व संसार का मार्गदर्शन कियाद्य पहले स्वयं अहिंसा का मार्ग अपनाया और फिर दूसरों को इसे अपनाने के लिये प्रेरित कियाद्य जियो और जीने दो का मूल मंत्र इन्हीं की देन हैद्य महावीर के सिद्धांत में समर्पण का भाव सबसे अहम था। उनका मानना था कि मांग कर, प्रार्थना करके या हाथ जोड़कर धर्म को हालिस नहीं किया जा सकता। महावीर मानते थे कि धर्म को खुद धारण करना चाहिए, इसे किसी से मांगकर हासिल नहीं किया जा सकता। धर्म जीतने से मिलता है, जिसके लिए संघर्ष करना पड़ता है। भगवन महावीर अहिंसा के पुजारी थे उनका मानना था कि इस दुनिया में जितने भी जीव है उन पर कभी भी हिंसा नहीं करनी चाहिए।
महावीर जयंती पर जैन मंदिरों को विशेष रूप से सजाया जाता है। जैन समुदाय द्वारा अहिंसा रैली निकाली जाती है। इस अवसर पर गरीब एवं जरुरतमंदों को दान दिया जाता है। कई राज्य सरकारों द्वारा मांस एवं मदिरा की दुकाने बंद रखने के निर्देश दिए जाते हैं। भगवान महावीर ने पांच सिद्धांत दर्शाएं जो समृद्ध जीवन और आंतरिक शांति की ओर ले जाते हैंद्य जिनमें शामिल हैं - अहिंसा, सत्य, अस्तेय, ब्रह्मचर्य और अंतिम पांचवा सिद्धांत अपरिग्रह ।


भगवान महावीर के आदर्शों की जीवन में उतारकर सामाजिक कल्याण की भावना घर घर पहुंचाई जा सकती है।